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Food Inflation को देखते हुए, क्या RBI की monetary policy सही है। आइये जानते है

Food Inflation :
बात ये है कि “Strategic Monetary Policy” मतलब एक ऐसी नीति जो इकोनॉमी में पैसे के फ्लो को कंट्रोल करती है। अब हमारे इंडिया में Food Inflation, यानी खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें, लगातार बढ़ रही हैं।

इसी वजह से RBI (Reserve Bank of India) ने अपनी नज़रें काफी तेज कर दी हैं और कहा है कि भाई, हमें इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

Food Inflation
Food Inflation RBI monetary policy

August 2024 के bulletin में बताया गया है कि लगातार खराब मौसम की वजह से ये हालत हुई है। अब इससे पूरी इकोनॉमी पर असर न पड़े, इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है।

Food Inflation की बढ़ती लहर

हमारे देश में Food Inflation काफी समय से बढ़ रही है। वजह? मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है और सप्लाई चेन में दिक्कतें आ रही हैं। RBI ने इस बात को पकड़ा है कि ये जो हो रहा है, वो कोई एक बार की बात नहीं है, बल्कि ये एक ट्रेंड बन गया है।

इससे ना सिर्फ खाने की चीज़ें महंगी हो रही हैं, बल्कि हो सकता है कि आगे चलकर बाकी चीज़ों की कीमतें भी बढ़ जाएं।

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Food Inflation के मुख्य कारण

तो ये Food Inflation क्यों बढ़ रही है? इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं:

  • Climatic Shocks: मौसम के हालात गड़बड़ाने की वजह से खेती पर बुरा असर पड़ा है। नतीजा? खाने-पीने की चीज़ें महंगी हो गईं।
  • Supply Chain Disruptions: सप्लाई चेन में लगातार रुकावटें आ रही हैं, खासकर ग्लोबल लेवल पर। Geopolitical tensions और logistic problems ने भी आग में घी डालने का काम किया है।
  • Increased Demand: शहरों और गांवों दोनों जगह पर लोगों की खरीदारी बढ़ रही है। इसका मतलब ये है कि demand बढ़ गई है, जिससे कीमतों पर और दबाव आ रहा है।
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Monetary Policy का जवाब: एक नाजुक संतुलन

अब RBI के Monetary Policy Committee (MPC) के सामने एक बड़ी चुनौती है। उन्हें economic growth को बढ़ाना है, लेकिन साथ ही inflation को भी काबू में रखना है।

August 2024 की मीटिंग में, MPC ने FY25 के लिए GDP growth का अनुमान 7.2% रखा और inflation को 4.5% पर सेट किया। लेकिन, खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने उन्हें सतर्क कर दिया है।

Monetary Policy की भूमिका

Monetary Policy यानी पैसे की नीति का काम है inflation को कंट्रोल में रखना और price stability सुनिश्चित करना। RBI ने अपनी policy rate 6.5% पर बनाए रखी है और inflationary pressures से निपटने के लिए धीरे-धीरे accommodation को हटाने की नीति अपनाई है।

इसका मतलब ये है कि खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों का broader economy पर असर न पड़े और sustainable growth भी होती रहे।

Core Inflation पर असर

Bulletin में बताया गया है कि खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें अगर बढ़ती रहीं, तो इसका असर core inflation पर भी हो सकता है। Core inflation वो है जिसमें non-food और non-energy components होते हैं, और ये economy में underlying price pressures का एक indicator है।

July 2024 में food prices का जो momentum था, उससे लगता है कि ये pressures बढ़ रहे हैं। ऐसे में, monetary policy का vigilant response ज़रूरी हो जाता है।

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Food Categories पर प्रभाव

Inflationary pressures हर food category पर एक जैसे नहीं होते। RBI bulletin में food sector में price movements की detailed breakdown दी गई है:

  • Cereals और Pulses: इनके दाम थोड़े काबू में हैं, क्योंकि supply conditions में सुधार हुआ है और demand भी स्टेबल है।
  • Fruits और Vegetables: इनके दाम थोड़े stabilized हैं, लेकिन मौसम की मार से ये फिर से बढ़ सकते हैं।
  • Meat, Fish, और Eggs: इनकी कीमतें supply constraints और rising input costs की वजह से बढ़ गई हैं।
  • Prepared Meals और Beverages: प्रोसेस्ड फूड items की कीमतें बढ़ गई हैं, क्योंकि raw material की लागत बढ़ गई है।

CPI Inflation के लिए दृष्टिकोण: अनिश्चितताओं को नेविगेट करना

CPI Inflation का outlook अभी अनिश्चित है। RBI ने FY 2024-25 के लिए इसे 4.5% पर प्रोजेक्ट किया है। अगले quarters के लिए अनुमान इस प्रकार हैं:

  • Q2 2024-25: 4.4%
  • Q3 2024-25: 4.7%
  • Q4 2024-25: 4.3%
  • Q1 2025-26: 4.4%

RBI ने कहा है कि ये projections इस assumption पर आधारित हैं कि monsoon normal रहेगा। अगर मौसम ने कोई खेल कर दिया, तो inflation के और बढ़ने का खतरा हो सकता है, और ऐसे में monetary policy को फिर से adjust करना पड़ सकता है।

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Conclusion: एक रणनीतिक रास्ता आगे का

Food Inflation को देखते हुए, RBI की सावधानी भरी monetary policy काफी सही है। Price stability बनाए रखना और economic growth को सपोर्ट करना आने वाले समय में crucial होगा।

जैसे-जैसे हालात बदलते हैं, continuous monitoring और timely policy adjustments से ही Indian economy की stability सुनिश्चित हो पाएगी।

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