Challa Sreenivasulu Setty का SBI के CASA में गिरावट पर खुलासा

आजकल इंडिया के बैंकिंग सेक्टर में कम-कॉस्ट वाले डिपॉजिट्स, जैसे कि CASA (Current Account और Savings Account), को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इसका एक डीटेल्ड एनालिसिस है, जिस पर नज़र डालते हैं!

Challa Sreenivasulu Setty Image from Google

CASA डिपॉजिट्स का रोल

अब देख, CASA डिपॉजिट्स बैंक के लिए काफी सस्ता फंड होता है और ये बैंक की माली हालत को सीधा इम्पैक्ट करता है। क्योंकि ये डिपॉजिट्स ज़्यादातर टर्म डिपॉजिट्स से सस्ते होते हैं, बैंक इन्हें ज़्यादा प्रेफर करते हैं। लेकिन, अब सीन कुछ ऐसा बनता दिख रहा है कि CASA डिपॉजिट्स का हिस्सा धीरे-धीरे घटता जा रहा है।

SBI (State Bank of India) को विशेष रूप से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण इसका CASA अनुपात घट रहा है।

SBI के CASA रेशियो में गिरावट

SBI का CASA रेशियो 30 जून तक 40.7% था, जो पिछले साल के 42.9% से कम है। मतलब, यार CASA डिपॉजिट्स का शेयर कम हो रहा है। हां, SBI का लोन बुक तो 15.4% से बढ़ा, लेकिन डिपॉजिट ग्रोथ सिर्फ 8.2% रही, जो थोड़ी प्रॉब्लम पैदा कर रही है। इस तरह की ट्रेंड पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री में भी दिख रही है, जहां ओवरऑल CASA रेशियो करीब 40% है, पर असल में ये 30% के आस-पास ही है।

सरकार की एफिशिएंट कैश मैनेजमेंट का इम्पैक्ट

CASA डिपॉजिट्स पर सरकार की कैश मैनेजमेंट पॉलिसीज का भी बड़ा असर पड़ रहा है। SBI के चेयरमैन Challa Sreenivasulu Setty ने बताया कि सरकार का ‘just-in-time’ कैश मैनेजमेंट सिस्टम अब फंड्स को रिलीज़ करने के तरीके को चेंज कर रहा है। पहले सरकारी फंड्स से Current Account में अच्छी खासी बैलेंसिंग हो जाती थी, लेकिन अब ये घट रही है। हो सकता है कि CASA रेशियो 40% से भी नीचे चला जाए, जैसे कि COVID से पहले था।

छोटे बिज़नेस की फॉर्मलाइज़ेशन: एक उम्मीद की किरण

CASA में गिरावट ज़रूर चिंता का विषय है, पर छोटे बिज़नेस की फॉर्मलाइज़ेशन के चलते एक ग्रोथ का मौका भी है। Challa Sreenivasulu Setty के अनुसार, छोटे बिज़नेस अभी भी कैश-रिलायंट हैं, और ये बैंक के लिए एक बड़ा अंटेप्ड मार्केट है। अगर ये बिज़नेस बैंकिंग सिस्टम में आ जाएं, तो CASA में कुछ ग्रोथ वापस आ सकती है।

क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ का अंतर

एक और टेंशन ये है कि क्रेडिट ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है। अगस्त तक क्रेडिट में 13.6% की ग्रोथ हुई, जबकि डिपॉजिट्स सिर्फ 10.8% बढ़ी। ये गैप बैंकिंग सेक्टर के लिए थोड़ा चिंताजनक है।

आगे का रास्ता क्या है?

अब, भाई आगे CASA का फ्यूचर थोड़ा अनिश्चित लग रहा है। सरकार की कैश मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज से हो सकता है कि Current Accounts में फंड्स कम आते रहें, जिससे CASA और कम हो जाए। दूसरी ओर, छोटे बिज़नेस का फॉर्मलाइज़ेशन एक पॉज़िटिव साइड हो सकता है। अगर बैंक इन्हें फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम में लाने में कामयाब होते हैं, तो शायद डिपॉजिट ग्रोथ वापस आ सकती है।

निष्कर्ष

तो यार, ये एक सीरियस ट्रेंड है कि CASA जैसे लो-कॉस्ट डिपॉजिट्स कम हो रहे हैं। बड़े बैंक, जैसे SBI, पर इसका प्रेशर ज़्यादा है क्योंकि उनकी लोन ग्रोथ तो बढ़ रही है, लेकिन डिपॉजिट्स उतने तेज़ी से नहीं बढ़ रहे। लेकिन छोटे बिज़नेस में अपॉर्चुनिटी है, अगर बैंक उसे सही से यूज़ कर पाएं तो।

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