MREAT ने MahaRERA के होमबायर्स को राहत न देने के आदेश को पलटा

(MREAT) Maharashtra Real Estate Appellate Tribunal :- महाराष्ट्र रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने एक बड़ा फैसला दिया है। उन्होंने Maharashtra Real Estate Regulatory Authority (MahaRERA) के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें ठाणे के ‘One Park Avenue’ प्रोजेक्ट के आठ होमबायर्स की शिकायतें खारिज कर दी गई थीं।
इस फैसले ने एक बार फिर रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 (RERA) के तहत होमबायर्स के अधिकारों को मजबूत किया और डेवलपर्स को उनकी जिम्मेदारियों के लिए जवाबदेह ठहराया, चाहे प्रोजेक्ट का मालिकाना हक किसी और को ट्रांसफर ही क्यों न हुआ हो।
विवाद का संक्षिप्त विवरण
मामला यह है कि 2012 में आठ होमबायर्स ने Man Global Ltd को ‘One Park Avenue’ प्रोजेक्ट के लिए एडवांस पेमेंट किया था। लेकिन पेमेंट का 30% देने के बाद भी न तो उन्हें अलॉटमेंट लेटर मिला और न ही सेल एग्रीमेंट हुआ। इसके बाद यह प्रोजेक्ट कई बार ट्रांसफर हुआ – पहले Man Realty Ltd को और फिर SARFAESI प्रावधानों के तहत Purva Oak को।
मुख्य घटनाओं की टाइमलाइन
- 2012: होमबायर्स ने Man Global Ltd को एडवांस पेमेंट किया, यह वादा किया गया कि 30 दिनों में अलॉटमेंट लेटर मिल जाएगा।
- डिले और नॉन-कम्प्लायंस: अलॉटमेंट लेटर नहीं दिए गए और सेल एग्रीमेंट भी नहीं हुए।
- ट्रांसफर ऑफ प्रोजेक्ट: प्रोजेक्ट पहले Man Realty Ltd और फिर Purva Oak को ट्रांसफर हुआ।
- MahaRERA का निर्णय: शिकायतों को खारिज कर दिया गया, कहते हुए कि यह मामला सिविल या क्रिमिनल नेचर का है।
- MREAT का निर्णय: ट्रिब्यूनल ने होमबायर्स को “allottees” माना और Purva Oak को सेल एग्रीमेंट करने का निर्देश दिया।
ट्रिब्यूनल की टिप्पणियां और निर्णय
Allottees की पहचान
MREAT ने होमबायर्स को वैध allottees माना क्योंकि Man Global Ltd ने पेमेंट रिसीट्स दी थीं। इन रिसीट्स को बुकिंग कन्फर्मेशन या अलॉटमेंट लेटर के बराबर माना गया।
Section 15 के तहत दायित्वों का ट्रांसफर
RERA के Section 15 के अनुसार, ट्रिब्यूनल ने कहा कि Man Global Ltd के सभी पेंडिंग दायित्व Purva Oak को ट्रांसफर हो गए। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि होमबायर्स के अधिकार प्रोजेक्ट ट्रांसफर होने के बावजूद बरकरार रहें।
पेमेंट लिमिट का उल्लंघन
MREAT ने देखा कि Man Global Ltd ने RERA प्रावधानों का उल्लंघन किया, क्योंकि उन्होंने 10-20% पेमेंट लिमिट से ज्यादा लिया, बिना सेल एग्रीमेंट के। ट्रिब्यूनल ने Purva Oak को इसे सुधारने की जिम्मेदारी सौंपी।
Purva Oak को दिए गए निर्देश
- होमबायर्स के साथ सेल एग्रीमेंट करें।
- प्रोजेक्ट से जुड़े सभी अधिकारों और दायित्वों का सम्मान करें।
- RERA प्रावधानों का पालन करें।
कानूनी प्रतिनिधित्व और प्रभाव
होमबायर्स की तरफ से एडवोकेट Omkar Khanvilkar ने केस लड़ा और यह साबित किया कि होमबायर्स RERA के तहत राहत पाने के हकदार हैं।
यह फैसला प्रोजेक्ट ओनरशिप ट्रांसफर के मामलों में एक मिसाल बन गया है।
- होमबायर्स के अधिकार: पेमेंट रिसीट्स के आधार पर होमबायर्स allottees माने जाएंगे, भले ही अलॉटमेंट लेटर न मिला हो।
- डेवलपर्स की जिम्मेदारी: नए प्रमोटर पुराने डेवलपर्स की जिम्मेदारियों को संभालेंगे।
- RERA प्रावधानों का सख्ती से पालन: पेमेंट लिमिट का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी।
निष्कर्ष
दोस्त, इस फैसले ने आठ होमबायर्स को बड़ी राहत दी है। इससे यह भी साफ संदेश गया कि डेवलपर्स को उनकी कमिटमेंट्स पूरी करनी होंगी, चाहे प्रोजेक्ट का मालिकाना हक बदल गया हो।
यह फैसला होमबायर्स के हितों की रक्षा और रियल एस्टेट सेक्टर में नियमों के पालन को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा।